नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ "नौ रातें" है। नवरात्रि में दुर्गा जी के नौ रूपों का पूजा किया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालु माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं। इस दिन माँ शैलपुत्री की आरती और "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:" मंत्र का जाप किया जाता है।
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शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पूजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
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