आज न जाने क्यूँ उसकी कुछ पुरानी यादें आखों के सामने छा गई। इस भाग-दौड़ भरे जिंदगी ने उन यादों पर पर्दा ही डाल दी थीं। उसकी एक-एक बातें मेरे कानों में गूंज रही थी। मेरे आँखों के सामने वो सारे दृश्य ऐसे घूम रहे थें जैसे ये सब वर्षों की नहीं कल परसों की बात हो। वो हमेशा मुझसे कहती थी तुम मेरे लिए बहुत ही खास हो। फिर अनायास ही मेरे मुंह से निकाल आया।
वो कहती थी
कुछ खास है मुझमें
अगर कुछ था
तो छोड़ा क्यू..
Wo kahti thi
kuchh khas hai mujhme
agar kuchh tha
to chhoda kyun....
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Very good
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